अगर आप पहाड़ो में यात्रा कर रहे हो और किसी पहाड़ी भोजनालय में खाना खाने जाये तो आपको पहाड़ी ककड़ी राई वाला रायता जरूर मिलेगा। एक मर्तबान में हल्का पीला सा राई की खुशबू और पहाड़ी ककड़ी की मिठास जब नाक में पहुँचती है तो हर कोई इस रायते को चखना चाहता है। जैसे ही आप पहला चम्मच उठाते है , राई का तीखापन आपके नाक और कान दोनों को सीधी अवस्था में ले आता है और उसके बाद ककड़ी और दही मिश्रित वह रायता आपको ऐसा सुकून देता है की बस की यात्रा में हुई थकान काफूर हो जाती है। जिन लोगो को पहाड़ी घुमावदार सड़को में जी मिचलाता है , उनके लिए तो रामबाण औसधि की तरह काम करता है ये रायता।
पहाड़ी रायता आमतौर पर पकी हुई पीली ककड़ी से बनता है। उसको बारीक छीलकर , महीन पीसी हुई राई और दही के साथ मिश्रित किया जाता है। रायता जितनी देर तक रहेगा , राई अपना रंग और स्वाद उतना अधिक छोड़ती है। आजकल गावों में ककड़ी का सीजन है तो आपने झालो या पेड़ो में पीली पीली लम्बी और मोटी ककड़ियाँ देखी होंगी जो आमतौर रायता बनाने के ही काम में आती है। ये पीली ककड़ियाँ धीरे धीरे लाल हो जाती है। अब अगर पहाड़ जाएँ तो ये रायता अवश्य खाये और आते हुए एक पकी हुई ककड़ी ले आये और अपने देसी दोस्तों को भी वो रायता बनाकर खिलाये तो उन्हें समझ आएगा की असली रायता होता कैसा है और हाँ, पहाड़ की राई भी साथ में लेते आइयेगा। तभी तो असली स्वाद आएगा। नथुने फूलने दीजिये उनके , मगर अंत में यही कहेंगे - वाह ! इसे कहते है असली रायता , पहाड़ी रायता। हमारा रायता फैलता नहीं है , स्थिर रहता है और वो भी अपने स्वाद के साथ।
Bahut badhiya Anand!
ReplyDeleteMuh me paani aa gaya.
Wah wah Anand bhai... Aisa laga jaise Garampani, Chada ya Kosi mai baith ke rayte ka swad v sugandh le raha hun... Mast hai... Pls keep writing such blogs... Big thumbs up...
ReplyDeleteDadda
ReplyDeleteEk aur cheez bhi hai masala bariya, like Mungudey . Kal hi banaya hai madam Ney. Yahan tou 30/- kg hai yeh wala kheera.
Original taste since 1857
ReplyDelete