Friday 29 December 2017

नई साल मुबारक ह जो


दाज्यू , भुला, ओ बेणी , कका
पुराण साल लहगो, नयी साल एगो।

जी रैया , जाग रैया ,
नयी साल मी खूब खुश रैया ,
जस ले छी ,
पुराण साल लहगो ,
एगो नयी साल अब ,
आपुण लोगो कू भेंट रैया।

बाल गोपाल सब भल है रैया ,
आपुण घरो ठुलो तुम ख्याल धरिया ,
गोठ बट्टी भेतर तक ,
खूब फलिया -फूलिया।

दाज्यू , भुला, ओ बेणी , कका
पुराण साल लहगो, नयी साल एगो।

डबलू बरसात है जो ,
घर तुम्हेर लैंटर वाल हेजो ,
भकार तुम्हार अन्न भरी जो ,
सबु तबियत ठीक है जो।

गोल्ज्यू आशीष है रो ,
बढ़ बट्टी बान तक हरिये रो ,
तुम्हर मुख में हमेशा ,ख़ुशी  रे जो,
नानतिन तुम्हार खूब होशियार हे जो 

दाज्यू , भुला, ओ बेणी , कका
पुराण साल लहगो, नयी साल एगो।

Tuesday 26 December 2017

भिटौली

घुघति बासली, 
म्यर ईजा -बौज्यू कू म्यर याद दिवाली , 
चैतैक म्हणा आलो इजा , 
म्यर मेत्त बट्टी आली भिटौली , 
बोज्यू प्यार , इजेक दुलार 
भे दगडी बेणी आली।  

सरास म्यर भतो दूर , 
मेत्त  की नराई , 
भिटौली तो बहान छू एक , 
म्यर मयेपु दिगे भेंट हो ली , 
इजा म्येरि आपुण प्यार भेजेली , 
बौज्यू आपुण दुलार , 
देख जाला म्यार भे - बेणी , 
म्यर घर संसार।  

चैतैक महेना ऐ जा , 
तू जल्दी जल्दी , 
घुघूती तू बास जरा , 
याद ऐगे मीकू आपुण मैते की।  

Monday 25 December 2017

मी पहाड़ छू

काहू कू मी आपुण पीड़ा , 
नानतिन नैथिन म्यर दगड़ा , 
मी छू पहाड़ा , 
क्वै नी समझन म्यर पीड़ा।  

आपुण गोद मीन लुकाई भाय ,
जरा फांख जामा , सब उड़ ग्याय , 
मी उसकिये ठाड़ रै गोय , 
नानतिन म्यर सब तलिहू लह ग्याय।  

ठंड हाव , ठंडो पाणी 
बाखई घाम छोड़ ग्याय , 
म्यर बाल गोपाल , 
म्यूको छोड़ बेर शहर लेह ग्याय।  

मी इंतजार करुन फिर ले , 
एक न एक दिन जरूर आल , 
मी इसकये ठाड़ हैरूल ,
आपुण नान्तिनो बाट जोहुल।  

चेली पराई नि हुन



मैत बे सरास जैबर
चेली पराई नि हुन 
पराणी व्यूकी मेते मी रू , 
चेली आपुण इज -बौज्यू बट्टी दूर नि हुन।  


रीत निभउ सरास जा छो , 
आपुण घर छोड़ दुसरो घर बसु छो , 
सास सौरो मि आपुण इज - बाप देखु छो , 
चेली बट्टी बण बे संसार संझू छो।  

चेली कभे ने पराई नि हुन , 
आपुण इज -बौज्यू बट्टी दूर नि हुन। 

Saturday 16 December 2017

उने रे , साल मी एक बार ( (कुमाउँनी कविता)



उने रे , साल मी एक बार 
खोल दिए आपुण घरे द्वार, 
बाँझ झन पड़िए दिए , 
जरूर अये साल मी एक बार।  

खौ मी अब सिसूण जाम गो , 
भेतर हेगी चौबाट , 
पाखेक पाथर चोर ही ल गो , 
बल्लियों में पड़ गे दरार।  

त्यर निशाणी उसकये छीन , 
करनि रोज़ त्यर इंतजार , 
फल - फूलो बोठो में बानर भे गी , 
लुके री मीन त्यर लीजी अनार।  

तु , जा ल छ , खूब तरक्की करिये , 
आपुण गौ -गाड़ नाम रोशन करिये ,
बस एक विनती छू , 
आपुण गौ- गाड़ झन भूलिए।  

उने रे ईज़ा , साल मी एक बार 
खोल दिए आपुण घरे द्वार, 
बाँझ झन पड़िए दिए , 
जरूर अये साल मी एक बार। 

जोशीमठ

  दरारें , गवाह है , हमारे लालच की , दरारें , सबूत है , हमारे कर्मों की , दरारें , प्रतीक है , हमारे स्वार्थ की , दरारें ...