Sunday 25 February 2018

बुरा न मानो - होली है ( पहाड़ी जोगी सारा रा रा )



उत्तराखंड मी अब डबल इंजन सरकार एगे ,
विकासेक उम्मीद जाग गे ,
करिया हो महाराज विकास यो फेरा ,
आपणे भकार झन भरिया। 
जोगी रा सारा रा रा । 

पहाड़ो में अजीब रिवाज हेगो
नानतिन सब तलहुँ लह गी ,
बुड -बाडिया राज एगो।
जोगी रा सारा रा रा । 

हरदा आभो आपुण विकास देखउ ,
गाँव गाँव घुमनी ,
हालत देख बे अब ,
आपुण मुनेय लुकुनि। 
जोगी रा सारा रा रा । 

पहाड़ो मी एडकेसे हेगो ,
सब तलहुँ लेगी , जो बच री ,
सब नेता बड़ गी। 
जोगी रा सारा रा रा । 

खेती पाती बंजर पड़ी गे ,
गोठे धिनाइ ले मोल हेगे ,
दारू और ताश - बस पहाड़ो में ये काम रेगो। 
जोगी रा सारा रा रा । 

ब्यार चश्म पेर बे शॉपिंग लेह गे ,
बूढ़ी नाति पोता दिगे व्यस्त हेगे ,
ब्याऊ खाऊ बाजार बट्टी ,
मोमोज़ लएगे। 

जोगी रा सारा रा रा ।  

Friday 23 February 2018

कुमाउनी महिला होली ( स्वरचित )



बलम छोड़ दियो यो फेरा शराब , 
छोडो त्यौ सौतन शराबौ साथ, 
यौ होईया मी फोड़ दियो बोतल , 
खाओ कसम म्येरि आज।  

फ़ागुणेक  मस्त बयार बही,
मौसमक हेगो मस्त मिजाज , 
चलो होली खेलुनु , 
लगाओ आज अबीर गुलाल।  

रंगेल रंगये दियो म्यूकि आज , 
एगो फागुणेक मेहँ , 
कबे बट्टी छी येक इंतजार , 
आओ खूब होई खेलुनु , 
बजर पड़ी जो तुम्हेर शराब।  

रंग लगे दियो यौस आज , 
नि छुटटो फिर यो कभेले , 
तन मन हरेश है जो , 
तुम्हौर छूट जो शराब।  



फोटो  साभार - गूगल 



Thursday 22 February 2018

कुमाउनी होली ( स्वरचित )



 हो , हो ,हो 
जय हो भूमिया देवो , 
जय जय हो कुल देवा , 
बचे बे धरिया सबकु 
हम छा  तुम्हौर शरणा।  

हो , हो , हो ,हो 
सब जन खुश धरिया , 
नान्तिनो कु आशीष दिया , 
बुड -बाढ़ी क्यू ठीक रखिया , 
गोठ बट्टी भतेर तक , 
आपुण कृपा धरिया।  

हो , हो , हो ,हो 
चीर चढ्नु आज तुम्ही कौ , 
मांगनू इजाजत होई खेलुनु , 
अबीर गुलाल आज चढ्नु, 
गौव पर आपुण आशीष धारिया।  

Wednesday 21 February 2018

हिटो दाज्यू , भुला - होई एगी

हिटो दाज्यू , भुला - होई एगी 
मस्त मौसम हेगो , होई एगी।  

भूमिया थान बट्टी , होई शुरू हाल 
फिर पुरा गौव मी हर देइ मी होई जाल।  

अबीर , गुलाल खूब उड़औल, 
ठाड़ होईया दिगे बैठ होइयाँ हाल।  

होई तो पहाड़ो में हुनी , 
चार पांच दिन खूब मस्त हुनि। 

बोजियो भली के रैया ,
होई खेलु तुम्हार देवर तैयार हेगी।  

ढ़लुके थाप हेलि , मंझीर झंकार , 
होइयार फागेक तान छेडाल , 
और होईया गाल , 
"आइयो शहर से व्यापारी " ।  

सौंप , पान , सुपारी , गुड़ खरीद लिहो , 
जल्दी ऊनी छीन तुम्हौर घर होइयार।  

Friday 9 February 2018

पहाड़ो की उम्मीद अब भी बाकि है




पहाड़ो की उम्मीद अब भी बाकि है ,
क्यूंकि पहाड़ी अब भी पहाड़ो से दूर नहीं है ,
सुलगती रहती है यादो की चिंगारी अब भी मन में ,
उन हसीं वादियों को छोड़ने की कसक अब भी है।  

माना की कुछ कारणों से थोड़ा जुदाई है , 
मगर अब भी पहाड़ो की यादें उसके दिल में बसती है , 
देर सबेर लौटकर आना ही है , 
ऐसा स्वर्ग और कहाँ मिलना है ?

शरीर भले ही कही भी हो , 
मन तो इन पहाड़ो में ही रमता है , 
ठंडी हवा , ठंडा पानी और भी बहुत कुछ  , 
हमें पहाड़ो से जोड़े रखता है।  

फूलदेई , घी संक्रांत , उत्तरायणी कौतिक 
झोड़े चांचरी और होलियो में होआर 
कब तक दूर रह सकता है , 
नस नस में बसे है पहाड़ी संस्कार।  

दिन दूर नहीं जब पहाड़ का पानी , 
और पहाड़ की जवानी फिर पहाड़ के काम आएगी , 
फिर पहाड़ हरे भरे होंगे , 
क्यूंकि मैदानों में घुटन की उम्र ज्यादा नहीं है।  

पहाड़ो की उम्मीद अब भी बाकि है , 
मिटटी की खुसबू अब भी जेहन में ताज़ी है , 
खुलेंगे बंद द्वार फिर से , 
क्यूंकि इन पहाड़ो का कोई सानी नहीं है।  

जोशीमठ

  दरारें , गवाह है , हमारे लालच की , दरारें , सबूत है , हमारे कर्मों की , दरारें , प्रतीक है , हमारे स्वार्थ की , दरारें ...