Tuesday 30 August 2022

दाज्यू , कस जमान एगो

दाज्यू , कस जमान एगो ,

फाटि सुराव फैशन हैगो ,

पैलाग -ज्यूजा ख़त्म हैगे ,

"गुड" अब सब हैगो ,

ईज अब "मम्मी " हैगे ,

बौज्यू अब "डैड " हैगो ,

भगवान अब "डबल " हैगो ,

न्युत -पात सब व्हाट्सप्प हैगो ,

ताल बखव बटी वीडियो कॉल हैगो ,

भाव भंगिमा इजहार बंद हैगो ,

शब्द हबे ज्यादा "इमोजी " हैगो,

दै -दूध ,धिनाइ सब पट हैगो ,

पैकेट मी दूध सब घर एगो ,

आठ फेल नेता बड़ गो ,

बी ए पास हयी हैगो ,

नान्तिना पढ़ाई चौपट हैगे ,

हाथ -हाथ मी मोबाइल एगो,

नानतिन सब पब्लिक स्कूल जाणी ,

प्राइमरी पाठशाला बस नामक रैगो ,

गौ -गाड़ सब खाली हैगो ,

पहाड़ सब हल्द्वाणी ,दून बसीगो ,

गोठ -भतेर सब सिसूण जामगो

खेत -खलिहान सब बंजर हेगो ,

राशन -पाणी सब मौल हेगो,

ऐच -पेच सब ख़त्म हैगो ,

सबसे ठुल डबल हैगो ,

बूढ़ -बाढ़िया बात किचाट हैगो ,

फ़िल्मी गीतों चीचाट हैगो ,

दाज्यू , कस जमान एगो ,

मैस बट्टी भौल मैस हरेगो।

 


Wednesday 24 August 2022

आम्म -बुबु बात

जब जाले अल्माड़ ,तब लागल गलमाड़,

तब पत लागौल - कदु बीसी हुनि सैकाड़ , 

आसान नेह च्यला ज़िन्दगी काटण ,

बाट -बाट मी मिलाल काना बुज और झिलमोड़।  

 

क्वो न क्वो हुनर हुण चे आपुण पास ,

बाजि बख्त काम एजा , क्ये लाज ,क्ये शर्म ,

पावण भय आपुण पेट , हाथ नि फैला ,

कर्म करते रूण भौव , जेठेक घाम मी तपा। 

 

आलस नि कर,कर्मोल आपुण भाग जगा,

चार डबल कमाले , द्वी डबल बचा ,

बखत कभते ले फाव मार दयूं ,

दगड़ी बड़ सोच समेझ बेर बड़ा। 

 

जो नौव पाणी पीण नेह , ऊ तरफे जे झन,

डाँस ढुंग कभे बड़िये झन, केके दिल दुखें झन,

सब पाख मी चढ़ला , तू धुरी मी चढ़िये झन ,

पोथिरा ,  जाले रौले आपुण माट कू भूलिये झन।    


Thursday 5 May 2022

पहाड़ों से मैदान

 

मैं कौतूहलवश उतरा था ,

पहाड़ों से मैदानों में ,

मुझे बहुतों ने बताया था ,

स्वप्न नगरी है वहां ,

वहां हर सपना पूरा होता है ,

ऊंचे -ऊंचे मकान ,

सरपट दौड़ती लम्बी कारें ,

आँखें चौंधियाती रातें ,

मैं थोड़ा उकता सा गया था ,

एक धार से दूसरे धार ताक ,

क्या इतना ही है मेरा आकाश ,

चल दिया इक दिन ,

जो थोड़ा सामान था मेरे पास ,

खो सा गया मैदानों में आकर ,

जीवन बहुत था आसान ,

पल्ले में रुपये - पैसे हो ,

सब सपने यहाँ साकार ,

लगाई जुगत फिर कमाई की ,

मेहनत की अपार ,

दिन देखा , रात देखी ,

सहा जगह - जगह दुत्कार ,

मगर पत्थरों से सिर टकराने की ,

पहाड़ों की आदत बहुत आयी काम ,

भूलने लगा अपने गाड़ - गधेरे ,

लगने लगा अब चढ़ पाउँगा ,

अपने गाँव का धार ,

कुछ मेहनत , कुछ किस्मत ,

कुछ मेरे बुजुर्गों और द्वाप्तो का आशीर्वाद ,

लेने लगे मेरे सपने आकार ,

मगर तब भी सपनों में ,

अक्सर आता रहा 'मेरा पहाड़ ',

भागमभाग तेज हुई ,

कदम मैं भी बढ़ाता गया ,

शहरी दौड़ में जाने मेरा तन ,

कब शरीक हुआ ,

जोड़ -तोड़ कर कुछ हासिल तो किया ,

मगर वो सुकून को मेरा मन तरस गया ,

वो रास्ते टेढ़े -मेढ़े , उबड़ -खाबड़ ,

मेरे गाँव के जो मेरे घर तक जाते थे ,

वो नदी जिसकी कल -कल जगाती थी ,

वो हवा जो साँय - साँय बहती थी ,

वो पानी जो अमृत सा था ,

वो फूल , ताजे फल ,

शहरों में सब मोल था ,

जो मैं छोड़ आया था पीछे ,

अब उसी को खरीदने  ,

पहाड़ छोड़कर शहर गया था।

Thursday 24 March 2022

ईजा


जब ले के दुःख - परेशानी ,

जब ले के ख़ुशी बात ,

गौव जे बुझि जा ,

ईजा त्येर भौते याद ऊ। 

 

तू म्यर आकाश छी ,

तू म्यर जमीन छी ,

यकेले पड़ गयु ईजा ,

तू म्यर अभिमान छी। 

 

त्येरी चिंता मी छी ,

म्येरि चिंता तू छी ,

असोज जस जीवन अब ,

तू म्यर ह्युनक घाम छी। 

 

त्येर आशीर्वादल सब छू ,

घर बट्टी बण तक आबाद छू ,

त्येर यादों एक भकार ,

त्येर बिना भौते उदास छू।   


Thursday 6 January 2022

बुराँश के फूल - किताब

 


बुराँश के फूल , पहाड़ों की कहानियाँ है।  सुःख है , दुःख है।   रीति - रिवाज है और बहुत सारा पहाड़ है।   पढ़ियेगा , किताब अमेज़न पर उपलब्ध है।  

जोशीमठ

  दरारें , गवाह है , हमारे लालच की , दरारें , सबूत है , हमारे कर्मों की , दरारें , प्रतीक है , हमारे स्वार्थ की , दरारें ...