उत्तराखंड के खाने का जायका अलग ही होता है। पहाड़ो में सोयाबीन की एक किस्म बहुतायत में उगाई जाती है जिसे स्थानीय भाषा में "भट्ट " कहा जाता है। यह छोटे छोटे काले रंग का छिलके लिए एक किस्म की दाल या सोयाबीन का प्रकार होता है जिसमे प्रोटीन और आयरन प्रचुर मात्रा में होता है। अंग्रेजी में इसे "ब्लैक बीन " कहा जाता है। इस भट्ट से कुमाऊं क्षेत्र में तीन तरह के व्यंजन बनाये जाते है - डुबुक ( भटिया ) , चुड़कानी और जौउ।
डुबुक बनाने से पहले भट्टो को भिगोया जाता है और अच्छे से भीगने के बाद इन्हे सिलबट्टे में या मिक्सर में पीस लिया जाता है और उसके बाद तय विधि से भट्ट के डुबुक (भटिया ) बनाया जाता है और इसके साथ आमतौर पर " भात " बनाया जाता है।
चुड़कानी में आमतौर पर साबुत भट्ट डाले जाते है। भट्टो को घी में फ्राई कर लिया जाता है और फिर आटे या बेसन को तलकर भट्ट मिलाये जाते है और फिर कढ़ाई में धीमी आंच में इसे पकाया जाता है। इसे भी " भात " के साथ हरा धनिया डालकर खाया जाता है।
भट्ट का जौउ बनाने की विधि डुबके बनाने जैसी ही है मगर इसमें थोड़ा चावल को पीसकर भी मिलाया जाता है। कढ़ाई में चावल और भट्ट को पीसकर धीमी आंच में पकाया जाता है और फिर पहाड़ी नूण के साथ खाने में इसका स्वाद दुगुना हो जाता है।
आज के आधुनिक व्यंजनों से अलग पहाड़ो में बड़े चाव से खाया जाने वाली ये सोयाबीन की दाल सदियों से पहाड़ियों को वहां की विषम परिस्थितियों से मुकाबला करने की अंदरूनी ताकत प्रदान करती है।
No comments:
Post a Comment