Wednesday, 24 January 2018

डबल इंजन सरकार



हे ! डबल इंजन सरकार ,
अब तो करो उद्धार ,
पहाड़ो के दर्द को ,
अब महसूस करो सरकार। 

माना पिछले निक्कमे थे ,
अब हाथ आयी तुम्हारे कमान ,
इन पहाड़ो की तन्हाई को ,
दूर करो अब सरकार। 

घर घर वीरान हो रहे ,
जड़ गए कितने ताले ,
चाभी विकास की ,
घुमाओ सरकार। 

धूमिल हो रही उम्मीदें ,
दरक रहे है पहाड़ ,
कौन संभाले इनको अब ,
सोई रही बरसो सरकार। 

आयी -गयी न जाने कितनी सरकार ,
काट गए सब अपना कार्यकाल ,
"किया क्या ?" पर सब चुप है ,
किसी को नहीं है पहाड़ो का सरोकार। 

अब तुम पर ही उम्मीद है ,
तुम हो डबल इंजन सरकार ,
बसा दो इन पहाड़ो को फिर से ,
हर पहाड़ी की ये है पुकार।  

2 comments:

  1. Nice dadi but jab Apna sikka CM hi khota hai tou dosh kisko dear.

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  2. Nice h jiju.... शानदार लाएंने ।

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