हे ! डबल इंजन सरकार ,
अब तो करो उद्धार ,
पहाड़ो के दर्द को ,
अब महसूस करो सरकार।
माना पिछले निक्कमे थे ,
अब हाथ आयी तुम्हारे कमान ,
इन पहाड़ो की तन्हाई को ,
दूर करो अब सरकार।
घर घर वीरान हो रहे ,
जड़ गए कितने ताले ,
चाभी विकास की ,
घुमाओ सरकार।
धूमिल हो रही उम्मीदें ,
दरक रहे है पहाड़ ,
कौन संभाले इनको अब ,
सोई रही बरसो सरकार।
आयी -गयी न जाने कितनी सरकार ,
काट गए सब अपना कार्यकाल ,
"किया क्या ?" पर सब चुप है ,
किसी को नहीं है पहाड़ो का सरोकार।
अब तुम पर ही उम्मीद है ,
तुम हो डबल इंजन सरकार ,
बसा दो इन पहाड़ो को फिर से ,
हर पहाड़ी की ये है पुकार।
Nice dadi but jab Apna sikka CM hi khota hai tou dosh kisko dear.
ReplyDeleteNice h jiju.... शानदार लाएंने ।
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