Tuesday, 9 January 2018

होइ , मी पहाड़ी छू



होइ , मी पहाड़ी छू , 
तुमर हबे लाख गुण भौल छू ,
मी सीध साद छू , 
मगर कर्मठ छू , 
होइ , मी पहाड़ी छू।  

यो तो म्यर गर्व छू , 
पहाड़ो मी च्यौल छू ,
ज्यादे ओछाहट नि करन   , 
आपुण काम भलीके करूँन  ,
यो तो म्यर पहाड़ रिवाज छू , 
होइ , मी पहाड़ी छू।  

बुद्धि , बल , विवेक मी , 
केके हबे कम नी हुन , 
अजमा लेहो कभे ले , 
एक पहाड़ी दस बराबर हुन।  

सीद साद खाण -पीण हमौर , 
कपड़ो मी नि हुन चमचमाट , 
थोड़ा मी ले खुश है जानु , 
ज्यादेक नि हुन कुलबुलाट। 

आपुण संस्कृति कू बचे बे रु , 
गौव की चिंता मी रु , 
चाहे , कै ले रून , 
मी पहाड़ी छू और हमेशा पहाड़ी रुन। 

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जोशीमठ

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