होइ , मी पहाड़ी छू ,
तुमर हबे लाख गुण भौल छू ,
मी सीध साद छू ,
मगर कर्मठ छू ,
होइ , मी पहाड़ी छू।
यो तो म्यर गर्व छू ,
पहाड़ो मी च्यौल छू ,
ज्यादे ओछाहट नि करन ,
आपुण काम भलीके करूँन ,
यो तो म्यर पहाड़ रिवाज छू ,
होइ , मी पहाड़ी छू।
बुद्धि , बल , विवेक मी ,
केके हबे कम नी हुन ,
अजमा लेहो कभे ले ,
एक पहाड़ी दस बराबर हुन।
सीद साद खाण -पीण हमौर ,
कपड़ो मी नि हुन चमचमाट ,
थोड़ा मी ले खुश है जानु ,
ज्यादेक नि हुन कुलबुलाट।
आपुण संस्कृति कू बचे बे रु ,
गौव की चिंता मी रु ,
चाहे , कै ले रून ,
मी पहाड़ी छू और हमेशा पहाड़ी रुन।
Bahut khoob..
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