उत्तराखंड
( Uttrakhand ) के नाम में
ही उसका विकास
का सूत्र भी छिपा है। अगर कोई
समझने को तैयार
हो तो उत्तराखंड
का विकास इन
पैमानो पर किया
जा सकता है।
U – Unemployment (बेरोजगारी)
T – Tourism (पर्यटन)
T- Tracking (ट्रेकिंग)
R- Religion (धर्म)
A-Ayurved
(आयुर्वेद)
K – Knowledge (ज्ञान
और संस्कृति)
H- Habitat (अनुकूल वातावरण)
A-And (और)
N- Natural Resources (प्राकृतिक संसाधन)
D- Development (विकास)
बेरोजगारी मुख्यतः उत्तराखंड की
मूल समस्या है
और पलायन का
एक बहुत बड़ा
कारण भी है। उत्तराखंड
के पास बेरोजगारी
दूर करने के
लिए पर्यटन , ट्रेकिंग
, धार्मिक स्थानों की बहुतायत
, आयुर्वेद के लिए
जड़ी बूटियाँ , ज्ञान
और साफ़ स्वच्छ
वातावरण - ऐसे कुदरती
वरदान है जिनपर
अगर सरकार ध्यान
दे तो बहुत
हद तक बेरोजगारी
को कम किया
जा सकता है।
जरुरत सिर्फ इस बात
की है की
प्रकृति द्वारे नवाजे गए
इन प्राकृतिक संसाधनों
का विकास हो। सरकार
और लोग यदि
एकजुट हो जाये
तो उत्तराखंड के
विकास को कोई
नहीं रोक सकता। सरकार
को प्रदेश के
प्रति अपने दायित्व
को समझना चाहिए
और लोगो को
भी अपने अपने
स्तर पर सरकार
का साथ देकर
हाथ बँटाना चाहिए। विकास
के लिए अलग
से कोई सूत्र
खोजने की जरुरत
नहीं है अगर
आप उत्तराखंड को
ही समझ ले
तो समाधान नाम में
निहित है।
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