Tuesday 13 March 2018

फूलदेई - अदभुत , अनोखा और अद्वितीय त्यौहार



उत्तराखंड की संस्कृति और परम्पराओ को समझना है तो फूलदेई के त्यौहार को समझना आवश्यक है।  यह एक ऐसा त्यौहार है जिसमे आप अपने लिए नहीं , दुसरो की मंगल कामना की दुआ करते हो।  चैत्र मास के पहले पैट को मनाया जाना वाला यह त्यौहार वाकई अद्भुत और अनोखा है।  बच्चे एक दिन पहले तमाम तरह के बासंती फूल तोड़कर इकठ्ठा करते है और फिर इस दिन सुबह नहा धोकर इन फूलो को अपनी अपनी कंडियो में सजाकर चल पड़ते है - गाँव की हर दहलीज पर और इन फूलो से सब घरो की दहलीज पर चढ़ाकर उस घर की मंगल कामना करते है और गाते है 

फूलदेई , छम्मा देइ 
देणी द्वार , भर भकार 
यौ देई  बारम्बार नमस्कार।  
  

और घर का बुजुर्ग भी उन बच्चो के रूप में आये भगवान् को दक्षिणा स्वरूप कुछ  चावल और पैसे देकर विदा करता है।  इन्ही चावलों से फिर 'साई' नाम का प्रसाद बनता है और सबमे बांटा जाता है।  

यह है पहाड़ो में नए वर्ष के स्वागत की परम्परा जो अपने आप में अदभुत और अद्वितीय है।  

हैं न अद्भुत त्यौहार ! नव वर्ष की इससे ज्यादा मंगल शुरुवात और क्या होगी ! आप अंग्रेजी नव वर्ष के आगमन और हिन्दू नव वर्ष के आगमन के हर्षोउल्लास में अंतर समझ सकते है।  

दहलीज पर पड़े तमाम तरह के फूल जैसे आमंत्रण दे रहे हो नए वर्ष को और स्वागत कर रहे हो एक नए वर्ष की।  

चारो और खिले हुए फूल और उनकी खुसबू जब हवा में घुलती है तो एक मदमस्त बयार पूरी फिजाओ को चंचल और मदमस्त बना देती है और फिर गूंजने लगते है पहाड़ो में झोड़े और चांचरी के बोल - जो पूरे वातावरण को गुंजायमान और शोभित कर देते है।  पहाड़ो में मनाया जाने वाला ये त्यौहार बहुत सुन्दर सन्देश देता है।  प्रकृति प्रेम और दुसरो की  मंगल कामना निहित इस त्यौहार की आज की दुनिया में नितांत आवश्यकता है।  

सबको फूलदेई और नए वर्ष की असीम शुभकामनाये।   ईश्वर आपके भकार अन्न और धन से भरे रखे।   आप और आपका परिवार स्वस्थ और सुखी रहे।  
गर्व कीजिये की हम पहाड़ी है और हमें पहाड़ी परम्पराओ पर गर्व है।  

जय देव भूमि , जय उत्तराखंड।  

1 comment:

जोशीमठ

  दरारें , गवाह है , हमारे लालच की , दरारें , सबूत है , हमारे कर्मों की , दरारें , प्रतीक है , हमारे स्वार्थ की , दरारें ...