तुम जाहूं एडवेंचर कूछा , ऊ हम रोज़ करनू
हम पहाड़ा शेणी , रोज ज्यान हाथ मी धरनू।
बांज काटहु एक फांग मि चढ़ जानु ,
शौक ने यो हमर , मजबूरी छू ,
दोड़ मी गोर बाछ छीन ,
उनेर पेट लेह भरण छू।
आसान नेह हो दाज्यू , यो पहाड़ा जीवन
दिन रात मेहनत करण पडू ,
उकाव , भ्योह सब एक करण पडू ,
दुय रोटा खातिर सब करण पडु।
हाथ मी दाथुल , कमर मी ज्योड़
राति निकल जानु ,
घाम तेज हूण हबे ,
पैली घर घटव पहुँचा दिनु।
फिर घरेक काम ले भाइय ,
नान्तिना खान पीण ,
कपड़ लेह धौंण भाइय ,
आपुण लीजी रती भर टेम नि रून,
भौनो बोज्यू दिनभर ताश खेलबेर ,
ब्याहु दारू पी बेर " कै करो त्यूल " कुनो भाइय।
असोज जस मेरी ज़िन्दगी ,
जेठेक जस घाम हेगे ,
मी पहाड़ शेणी हो दाज्यू ,
जवानी मी बूढ़ी हेगे।
आप का ये विचार और ये पंतिया गजब की है।
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