Wednesday, 24 August 2022

आम्म -बुबु बात

जब जाले अल्माड़ ,तब लागल गलमाड़,

तब पत लागौल - कदु बीसी हुनि सैकाड़ , 

आसान नेह च्यला ज़िन्दगी काटण ,

बाट -बाट मी मिलाल काना बुज और झिलमोड़।  

 

क्वो न क्वो हुनर हुण चे आपुण पास ,

बाजि बख्त काम एजा , क्ये लाज ,क्ये शर्म ,

पावण भय आपुण पेट , हाथ नि फैला ,

कर्म करते रूण भौव , जेठेक घाम मी तपा। 

 

आलस नि कर,कर्मोल आपुण भाग जगा,

चार डबल कमाले , द्वी डबल बचा ,

बखत कभते ले फाव मार दयूं ,

दगड़ी बड़ सोच समेझ बेर बड़ा। 

 

जो नौव पाणी पीण नेह , ऊ तरफे जे झन,

डाँस ढुंग कभे बड़िये झन, केके दिल दुखें झन,

सब पाख मी चढ़ला , तू धुरी मी चढ़िये झन ,

पोथिरा ,  जाले रौले आपुण माट कू भूलिये झन।    


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बजर पड़ गौ

सरकारेक फ्री राशन बट्टी ,  पहाड़ों मी खेती कू बजर पड़ गौ।   हाथ -हाथ मी मोबाइल ,  काम धंध मी बजर पड़ गौ।   साग पात ,फल फूल उजड़ गयी ,  बानर हेगी...