काहू कू मी आपुण पीड़ा ,
नानतिन नैथिन म्यर दगड़ा ,
मी छू पहाड़ा ,
क्वै नी समझन म्यर पीड़ा।
आपुण गोद मीन लुकाई भाय ,
जरा फांख जामा , सब उड़ ग्याय ,
मी उसकिये ठाड़ रै गोय ,
नानतिन म्यर सब तलिहू लह ग्याय।
ठंड हाव , ठंडो पाणी
बाखई घाम छोड़ ग्याय ,
म्यर बाल गोपाल ,
म्यूको छोड़ बेर शहर लेह ग्याय।
मी इंतजार करुन फिर ले ,
एक न एक दिन जरूर आल ,
मी इसकये ठाड़ हैरूल ,
आपुण नान्तिनो बाट जोहुल।
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