Monday, 25 December 2017

मी पहाड़ छू

काहू कू मी आपुण पीड़ा , 
नानतिन नैथिन म्यर दगड़ा , 
मी छू पहाड़ा , 
क्वै नी समझन म्यर पीड़ा।  

आपुण गोद मीन लुकाई भाय ,
जरा फांख जामा , सब उड़ ग्याय , 
मी उसकिये ठाड़ रै गोय , 
नानतिन म्यर सब तलिहू लह ग्याय।  

ठंड हाव , ठंडो पाणी 
बाखई घाम छोड़ ग्याय , 
म्यर बाल गोपाल , 
म्यूको छोड़ बेर शहर लेह ग्याय।  

मी इंतजार करुन फिर ले , 
एक न एक दिन जरूर आल , 
मी इसकये ठाड़ हैरूल ,
आपुण नान्तिनो बाट जोहुल।  

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