Monday, 6 October 2025

असोज

 

असोज सिमरु ऐ जा ब्वारी ,

कहाणेक है रै चुटाचुट,

धानक थुपड़ भिझ जानिइये ,

घा काटी बेर खितेड छीन लुट। 

 

नान्तिनो कू चाडों टेम नेहे ,

खाण पीणो काकू ध्यान है रौ ,

हौ -भान कारण छीन ,

खौह मी है रै दै। 

 

काव लाग रौ यौ असोज कू ,

सिमरेन सिमरने आफत ऐ रै ,

झन कै ब्वारी -भट भेज दियो ,

भटाल म्येरि कमर तोड़ रै। 

 

मडु टीपेन -टीपने हाथ पटे गी ,

अखोड़ बौठम बट्टी बानर हीलेगी ,

बजर पड़ जो यौ असोजक मेहण कू ,

काम ज्यादेक , भकार खाली रुण।    

 

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