असोज सिमरु ऐ जा ब्वारी ,
कहाणेक है रै चुटाचुट,
धानक थुपड़ भिझ जानिइये ,
घा काटी बेर खितेड छीन लुट।
नान्तिनो कू चाडों टेम नेहे ,
खाण पीणो काकू ध्यान है रौ ,
हौ -भान कारण छीन ,
खौह मी है रै दै।
काव लाग रौ यौ असोज कू ,
सिमरेन सिमरने आफत ऐ रै ,
झन कै ब्वारी -भट भेज दियो ,
भटाल म्येरि कमर तोड़ रै।
मडु टीपेन -टीपने हाथ पटे गी ,
अखोड़ बौठम बट्टी बानर हीलेगी ,
बजर पड़ जो यौ असोजक मेहण कू ,
काम ज्यादेक , भकार खाली रुण।
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