Wednesday, 21 November 2018

ह्यून एगो



ह्यून एगो पहाड़ो मी , 
राति ब्याव जाड़ , 
हाथ खुटा अकड़ गी ,
जल्दी जलाओ आग।  

रजे -कंबल निकालो अब , 
ऊनी कपड़ोल ढको तन , 
बूढ़ बाड़िया ध्यान धरो , 
"बाई बात " नि हो केकू दर्द।  

नानतिन अब नानतिनेन भाय , 
उनको केहू जाड़ , 
धिरक धिरक बेर इत्था उत्था , 
शरीर कर रूनी आपुण गर्म।  

घाम मी बैठ बेर , 
फसक मारणि  दिन ,  
ह्यून एगो पहाड़ो मी , 
बनेन बुननि दिन।  

भौते ठंड हूँ हो पहाड़ो मी , 
करिया आपुण आपुण जतन , 
प्रार्थना छू सब दाज्युओं ,
कम पिया हो रम।  



2 comments:

  1. ha..ha kum pia ho rum

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  2. भौते भाल लाइन लेखि रेइ हो मेहरा ज्यु तमुल।
    आशा करुनु कि और मिलल हमुके हगिलके पढनु ।
    धन्यवाद
    महेन्द्र बिष्ट

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