Wednesday, 20 May 2020

सुमित्रानंदन पंत जी का जन्मदिन



कवि जगत के अपने पुरोधा को , 
आज सदर नमन और अभिनन्दन , 
रचा बसा था जिनके अंदर पहाड़ , 
कलम से निकली थी अटूट धार , 
वो " पंत " थे कौसानी से , 
धन्य किया जिन्होंने काव्य संसार।  

हे ! पूर्वज मेरे - कलम मैंने भी थामी है , 
पदचिन्हो पर आपके , 
कुछ दूर तक चलने की ठानी है , 
तुम बरगद से खड़े सामने , 
मैं अभी उगता झाड़।  

छायावाद के प्रमुख स्तंभ , 
युग पथ, सत्यकाम, शिल्पी, सौवर्ण, चिदम्बरा, पतझड़, रजतशिखर, तारापथ के रचनाकार , 
धन्य हुई वो भूमि , 
जहाँ जन्मे शब्दों के आप शिल्पकार।  



बजर पड़ गौ

सरकारेक फ्री राशन बट्टी ,  पहाड़ों मी खेती कू बजर पड़ गौ।   हाथ -हाथ मी मोबाइल ,  काम धंध मी बजर पड़ गौ।   साग पात ,फल फूल उजड़ गयी ,  बानर हेगी...