बता धी भुला
, म्यार पहाडेक हाल,
म्यूकि नि जाई,
हेगी कदु साल।
बाट -बखाई उस्से
छीना ,
वै छो ऊ गोल्ज्यू
थान।
रमु कक्क जिन्द
छीना ,
धार मी आईले
उछो चिट घाम।
पाणी धार बाँजेक
बुझाणी हुनोल ,
काश छीन घट्ट
-बिरबान।
दाज्यू , बदल
गो हो हमौर पहाड़ ,
बाँझ पड़ गी
गौव-गाड़।
तुमार घराक
बल्ली सड़ गी ,
गोठ भेतर चौफान
हेगी ।
खेतीबाणी सब
बाँझ पड़ी गे ,
वानरों हर जाग़
धीरधिराट हेगो ।
गोल्ज्यू थान
मी दूब जामिगो ,
बाँझ बुझांणी
धार सूख गो।
रमु कक्क परलोक
सिधार गी ,
चैलाक उनौर
झकोड़ हेगो।
बकाई अब गौव
मी केय नि रेगो ,
खालि अब नामेनाम रेगो।
दाज्यू , बाँझ पड़ गी हमार गौ-गाड़ सब ,
पत् न केक हँकार
लागि गो।
फोटो साभार - गूगल
Bhula ,ab to kuchh salo bad gaw ese hote the ,ye books me padenge .Gaw ke bachche ab kumauni nhi bolte ,ye boli bhi sambhal ke rakhni hei .
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