Tuesday, 13 November 2018

सुना तो होगा ही आपने - "बेड़ू पाको बारमासा" तो जानिये इस गीत का इतिहास ?



कुमाउँनी गीतो की जब भी बात होती है तब सबसे पहले जो गीत सबकी जुबान में चढ़ता है , वह है कुमाउँनी आँचल का सदाबहार गीत - "बेड़ू पाको बारमासा" ।
इस प्रसिद्द गीत के गीतकार थे - श्री ब्रजेन्द्र लाल शाह।  इस गीत को राग दुर्गा पर आधारित बनाकर श्री मोहन उप्रेती और श्री ब्रजमोहन शाह जी द्वारा सर्वप्रथम 1952 में राजकीय इण्टर कॉलेज , नैनीताल में गाया गया।  मगर जब यह गीत दिल्ली में तीन मूर्ति भवन में बजाया गया तो कुमाउँनी भाषा का यह गीत अमर हो गया।  बताते है यह हमारे प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू जी के पसंदीदा गीतों में शुमार था।   तीन मूर्ति सभागार में इस गीत की रिकॉर्डिंग सब मेहमानो को स्मारिका के तौर पर भी दी गयी थी।  बाद में कुमाउँनी गीतों के प्रसिद्ध गायक श्री गोपाल बाबू गोस्वामी ने जब अपनी खनकती आवाज में इसे गाया और रिकॉर्ड किया तो यह जन -जन का पसदींदा गीत बन गया।   शायद ही कोई कुमाउँनी होगा , जिसने यह गीत न सुना हो।   हर बारात में जब बीनबाजे और रामढोल पर यह गीत बजता है तो पैर अपने आप थिरकने लग जाते है। 

बेडु पाको बारोमासा, ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला
बेडु पाको बारोमासा, ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला - २

भुण भुण दीन आयो -२ नरण बुझ तेरी मैत मेरी छैला -२
बेडु पाको बारोमासा -२, ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला - २

आप खानी पान  सुपारी -२, नरण मैं को दिनी  बीडी मेरी छैला -२
बेडु पाको बारोमासा -२, ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला - २

अल्मोडा की नंदा देवी, नरण फुल चढूनी पात मेरी छैला
बेडु पाको बारोमासा -२, ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला - २

त्यार खुटा मा काना बूड़ो , नरणा मेरी खुटी पीडा मेरी छैला
बेडु पाको बारोमासा -२, ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला - २

अल्मोडा को लाल  बजार, नरणा लाल मटा की सीढी मेरी छैला
बेडु पाको बारोमासा -२, ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला - २


तो गुनगुनाना मत भूलियेगा -" बेडु पाको बारोमासा"।

1 comment:

जोशीमठ

  दरारें , गवाह है , हमारे लालच की , दरारें , सबूत है , हमारे कर्मों की , दरारें , प्रतीक है , हमारे स्वार्थ की , दरारें ...