Tuesday, 26 March 2019

सीख



सब पाख में चढ़नी
तो आपुण धूरि मी नि चड़न चेन ,
आपुण चद्दर देख बेर ,
खुट फैलुन चेन। 

जमान बढ़ दिखावटी एगो ,
दुहौर कू देखबेर ,
आपुण रंग ढंग नि ,
बदौव चेन। 

मेस भौते बदल गी अब ,
उनौर बात सुणी बेर ,
आपुण  घरेक सुखचैन ,
नि बिगाड़न चेन।  

आपुण कर्म भौल करो ,
फिर के चिंता नेह ,
फलेक चिंता भगवान करौल ,
बढ़िया नीन उड़ चेन।



पाख - छत , धूरि - छत पर बनी चिमनी , बदौव - बदलना, दुहौर - दूसरे को , फैलुन - फैलाना , मेस - लोग , सुणी - सुनने , बिगाड़न – बिगाड़ना, भौल - अच्छे , करौल- करेगा , नीन - नींद

6 comments:

  1. गजब ! गागर मी सागर भर रौ। लेखने रौ कवि साहब , कुमाउँनी भाषा तुम्हौर ऋणी रौल।

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  3. भौते भल लिखो आपुणे।

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