घरबार आबाद रौ ,
देई बट्टी सुख और संपत्ति ओ
,
फूल चढूनी आज हम ,
पूर साल तुम्हौर बड़ी रो।
आशीष हमकू ले दियो ,
दूब जस फैलो ,
आकाश जस विशाल ,
पर्वत जस ऊंच रो।
तुम्हौर देई कू भेटने रो
,
गौव गाड़ म्योर हरी भरी रो ,
हम नानतिन खेलन
रो ,
सबु कुशल मंगल है रो।
गौव बूढ़ बाड़ी स्वस्थ रो ,
देश परदेश सब कुशल रो
,
हँसने रइया साल भर ,
के कष्ट नि
ओ।
फूलदेई पहाड़ो का अद्भुत त्यौहार है जो आपस में प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है।
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