हमें चाहिए था अपना राज्य ,
ताकि कदमताल कर सके ,
देश के विकास की गति में ,
हम भी अपना योगदान दे सके।
उपेक्षा हुई बार बार ,
मैदानों से अलग थे पहाड़ ,
भूगोल ऊँचा नीचा था ,
कुदरत की थी ये मार।
फिर ठाना जो होगा देखा जायेगा ,
अब किसी का मुँह नहीं ताका जायेगा ,
अपने हिस्से की लड़ाई खुद लड़ेंगे ,
अपना " राज्य " लेकर ही दम लेंगे।
संघर्ष हुआ अपार ,
खुद के वजूद के लिए
हर जन हुआ भागीदार ,
रीत गए कई हजार।
9 नवम्बर 2000 की बेला आयी ,
पहाड़ो ने ली एक नयी अंगड़ाई ,
अपने राज्य का सपना हुआ साकार ,
सबने मिलकर खुशियाँ मनाई।
नए सपने , नयी उम्मीदें
पहाड़ो में जैसे नई जान आयी ,
घिसट , लुढ़क कर धीरे धीरे ,
अब पैरो पर खड़े होने की बारी आयी।
अब बाल्यावस्था से जवानी की ,
दहलीज पर पहुँचने की सबको बधाई,
उठो , जागो , स्वार्थ छोडो अब ,
नव उत्तराखंड बनाने की बारी आई।
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