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बूढ़ी अम्मा
पहाड़ सी ज़िन्दगी हो गयी , सब कुछ होते हुए भी कुछ न था , सब छोड़कर अकेले उसे , पहाड़ ही कर गए थे। जिद्दी अम्मा भी थी , कितना समझाया था उस...
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माठु-माठ उठा हो दीदी , अापुण खुटो कू आज , त्यार पायल आवाज करि , छम छम्म बाजनी आज। हुड़का बजाओ दाज्यू , यस गाड़ो आज ताल...
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-1- खुट उदेगे फैलूंण चैनी ज्यदु चद्दर छू। नंगेड़े खुटो को ठण्ड बहुत लागू। -2- मैस पाख मी चढ़नी तो आपुण धुरी मी नि चड़न चे। चड़न तो आसान हू...
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ये फोटो अनायास ही मुझे मेरे बचपन में ले गया। मैं मूलतः अल्मोड़ा ज़िले के सोमेश्वर क्षेत्र के एक छोटे से गाँव का निवासी हूँ और अब आजीविक...

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