कै बाते चिंता , कै बातें फिक्र
जो कर्म आपुण हाथ मी छीन ,
करते जाओ , बाकि
जे ले हौल , देखिनि रौल।
मेहनत करण मी नि घबराओ ,
बंजर स्यार मी हौ तो चलाओ ,
दौ पाणी चिंता तुम नि करो ,
जे ले हौल , देखि जाल।
नान्तिनो कू तुम पढ़ाओ ,
भाल संस्कार उनकू दौ ,
बकाई उनैर किस्मत भई ,
जे ले हौल , देखिनि रौल।
चिंता फिक्र ज्यादेक नि करो ,
तबियत आपुण नि बिगाड़ो ,
कर्मो फल जरूर मिलाल ,
जे ले हौल , देखिनि रौल।
समयेक फेर चलते रुनी ,
कभते घाम , कभते दौ लागि रूनी
समयक दिगे कदमताल करि जाओ ,
जे ले हौल , देखिनि रौल।
सुःख दुःख तो उने -जाने रौल ,
ठंड बाद गर्मी उने रौल ,
ज्यादेक चकबकाहट क्ये देखूण हरौ ,
जे ले हौल , देखिनि रौल।
जे ले हौल , देखिनि रौल - जो होगा , देखा जायेगा
आहा लेखक जी बहुत सुंदर शब्द आप ने जोड़े है अति सुंदर
ReplyDeleteजेलें होल देखी त जाली पै लिखते रहो 😍😍😍