Wednesday, 17 April 2019

जे ले हौल , देखिनि रौल।




कै बाते चिंता , कै बातें फिक्र 
जो कर्म आपुण हाथ मी छीन , 
करते जाओ , बाकि 
जे ले हौल , देखिनि रौल।   

मेहनत करण मी नि घबराओ , 
बंजर स्यार मी हौ तो चलाओ , 
दौ पाणी चिंता तुम नि करो , 
जे ले हौल , देखि जाल।  

नान्तिनो कू तुम पढ़ाओ , 
भाल संस्कार उनकू दौ , 
बकाई उनैर किस्मत भई ,
जे ले हौल , देखिनि रौल।   

चिंता फिक्र ज्यादेक नि करो , 
तबियत आपुण नि बिगाड़ो , 
कर्मो फल जरूर मिलाल , 
जे ले हौल , देखिनि रौल।  

समयेक फेर चलते रुनी , 
कभते  घाम , कभते दौ लागि रूनी 
समयक दिगे कदमताल करि जाओ ,
जे ले हौल , देखिनि रौल।  

सुःख दुःख तो उने -जाने रौल , 
ठंड बाद गर्मी उने रौल , 
ज्यादेक चकबकाहट क्ये देखूण हरौ , 
जे ले हौल , देखिनि रौल।  


जे ले हौल , देखिनि रौल - जो होगा , देखा जायेगा 

1 comment:

  1. आहा लेखक जी बहुत सुंदर शब्द आप ने जोड़े है अति सुंदर
    जेलें होल देखी त जाली पै लिखते रहो 😍😍😍

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जोशीमठ

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