हिमालयन वाइल्ड फिग के नाम से पहचाना जाने वाला
यह " बेड़ू " वही जंगली फल है जिसका जिक्र कुमाउँनी सदाबाहर गीत " बेड़ू
पाको बारमासा " में हुआ है। यह फल और
पौधा वानस्पतिक जगत में " फाइकस पालमारा" के नाम से वर्गीकृत है। यह उत्तराखंड के हर क्षेत्र में अपने आप उगने वाला
फल दार पेड़ हैं। लोग इसके फलों को चाव से खाते हैं , लेकिन इसकी खेती नहीं की जाती
है । तिमला और बेड़ू एक ही कुल के फल है।
दिसंबर-जनवरी में गिरने वाली इसकी पत्तियां अप्रैल-मई
तक निकल आती है। इसके फल लट्टू के आकार के होते हैं। प्रारंभिक अवस्था में यह हरा रंग
लिए होते हैं। बाद में पक जाने पर यह जामुनी व बैंगनी रंग के हो जाते है। पके हुए फलों
का स्वाद लाजवाब होता है। जब यह पूरा बैगनी हो जाये तो समझ लीजिये - अब यह खाने के
लिए तैयार है। जब आप इस फल को पेड़ से तोड़ते
है तो इसके बाहरी छिलके में एक कसैलापन होता है।
आप इस फल को तोड़कर पांच या दस मिनट पानी में भिगो दीजिये और फिर इसको खाइये
या इसका महीन छिलका उतारिये और इसे मुँह में रखिये , यह अपने में अधिकतर जूसी पल्प
लिए होता है तो तुरंत घुल जाता है और इसके छोटे छोटे बीज ही आपको बेड़ू खाने का स्वाद
देते है। जूसी पल्प होने के कारण अब इस फल से जैम , स्क्वैश और जेली भी बनाई जाने लगी
है। पर्यावरण संरक्षण के लिए लाभकारी इस
पेड़ की पत्तियां चौड़ी व खुरदरी होती हैं। इसकी पत्तियां काफी पौष्टिक होती हैं, जिसे
गाय, भैंस, भेड़ व बकरियां बड़े की चाव से खाते हैं। इसके कच्चे फलों से सब्जी भी तैयार
की जाती है, जो काफी स्वादिष्ट होती है।
क्यों खास है बेड़ू ?
अगर आपको पेट सम्बन्धित कोई रोग या विकार है
तो बेड़ू फिर किसी चमत्कार से कम नहीं है। आयुर्वेद
में बेडु के फल का गुदा (Pulp) कब्ज, फेफड़ो के विकार तथा मूत्राशय रोग विकार के निवारण
में प्रयुक्त किया जाता है। बेडू के फल में सर्वाधिक मात्रा आर्गेनिक मैटर होने के
साथ-साथ इसमें बेहतर ऑक्सीडेंट गुण भी पाये जाते हैं, जिसकी वजह से बेडू को कई बिमारियों
जैसे - तंत्रिका तंत्र विकार तथा हेप्टिक बिमारियों के निवारण में भी प्रयुक्त किया
जाता है। बेड़ू का प्रयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज में जठरांत्र
विकार , हाइपोग्लाइसेमिया, ट्यूमर, अल्सर,
मधुमेह, हाइपरलिपिडेमिया और फंगल संक्रमण को रोकने के लिए किया जाता है।
यह उत्तराखण्ड में बेडू, फेरू, खेमरी, आन्ध्र
प्रदेश में मनमेजदी, गुजरात मे पिपरी, हिमाचल प्रदेश में फंगरा, खासरा, फागो आदि नामों
से जाना जाता है।
No comments:
Post a Comment