अप्रैल
और मई में पहाड़ो में फल -फूल अपने शबाब पर होते है। इन्ही फल फूलो में अगर आप पहाड़ो के यात्रा पर निकले
हो तो सड़क किनारे और जंगलो के बीच किसी झाड़ी नुमा पेड़ पर सूर्ख लाल रंग के बड़े से लाल
फूलो का दीदार मन को प्रसन्न कर देता है और आपका मन उस उस फूल को पाने को लालायित हो
उठता है। उस फूल का नाम है - बुराँश। अपने बड़ी बड़ी पंखुड़ियों के बीच इसके बीज भी समेटे
यह फूल अंग्रेजी में रोडोडेंड्रोन कहलाता है।
असल में रोडोडेंड्रोन एक ग्रीक शब्द है जिसमे रोडो मतलब फूल होता है और डेंड्रॉन
का मतलब - वृक्ष या पेड़ होता है। बुरांश
का पेड़ उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है और नेपाल में इसके फूल को राष्ट्रीय फूल का दर्जा
प्राप्त है। बुरांश आमतौर पर तीन रंगो में
पाया जाता है - लाल , सफ़ेद और गुलाबी। पहाड़ो
में आमतौर पर लाल बुराँश ही खिलता है। इस फूल
की सबसे खास बात यह है की इसमें सुगंध नाम मात्र की होती है।
उस समय आपको बहुत सी जगह " बुराँश के फूल
" का जूस , जैम और जैली खरीदने के इश्तेहार
भी दिख जाते है। बुरांश के फूलो का आयुर्वेदिक
महत्व है। यह लीवर , किडनी और हृदय सम्बन्धी
रोगो के उपचार में काम आता है। अगर आपको साबुत
फूल भी मिल जाए तो इसकी पंखुड़ियों को धोकर आप सीधे भी खा सकते है। इसकी पंखुड़ियाँ मीठी होती है और बहुत सारा रस लिए
होती है। बुरांश हिमालयी क्षेत्रों में
1500 से 3600 मीटर की मध्यम ऊंचाई पर पाया जाने वाला सदाबहार वृक्ष है। बुरांस के फूलों
से बना शरबत हृदय-रोगियों के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। बुरांस के फूलों की चटनी
और शरबत भी बनाया जाता है।
पहाड़ी
लोक जीवन में इस फूल का बड़ा महत्व है। यह
यौवन और प्रसन्नता का प्रतीक माना जाता है। लोकगीतों में भी इस फूल की महिमा वर्णित है। इसकी गिरती
पंखुड़ियों को विरह के रूप में भी गीतकारो और कवियों ने दर्शाया है।
फोटो सौजन्य - गूगल
फोटो सौजन्य - गूगल
Buransh is very famous in uttarakhand and it is a part of our custom.
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