पहाड़ो
में चीड़
के पेड़ो
पर या
बड़े से
पत्थरो में
पत्थर फूल
खिला या
चिपका हुआ
देखा होगा। बड़े
काम की
चीज है
ये पत्थर
फूल।
मुझे याद
है बचपन
में हम
इसको इकट्ठा
करके पत्थर
में पानी
के साथ
पीसकर हाथो
में लगाते
थे , और
सूखने के
बाद ये
मेहँदी जैसा
लाल रंग
देता था
हाथ पर।
लेकिन
ये पत्थर
फूल मसालो
के परिवार
का हिस्सा
है और
मसाले के
रूप में
प्रयोग होता
है - खासकर
नॉन-वेज
बनाने में
इसका इस्तेमाल होता
है।
बहुत सारे
औषिधीय गुण
भी शामिल
होते है
इसमें।
मजेदार बात
ये हैं
की ये
एक फफूँद
की तरह
है जो
पेड़ो और
पत्थरो में
अपने आप
उगता है
और प्रकाश
संश्लेषण के
माध्यम से
अपना भोजन
बनाता और
पनपता है।
उसको
पेड़ से
या पत्थरो
से निकालकर
सुखाया जाता
है और
फिर मसाले
के तौर
पर इस्तेमाल किया
जाता है। यह
पेट के
विकार दूर
करने में
बहुत लाभदायक
है।
भारत में
अलग अलग
जगह इसे
अलग अलग
नामो से
जाना जाता
है।
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