अपनी
भूमि , अपना प्रदेश
अपना
गाँव , अपना घर
मिलजुलकर
आओ सब ,
सँवारे
अपना उत्तराखंड।
जन्मे
भाग्य से इस भूमि पर ,
देवलोक
सा हमारा उत्तराखंड ,
नदियाँ
, झरने, घने जंगल
प्रकृति
का वरदान उत्तराखंड।
भुला
दिया है हमने ,
बाकी
है हमपर इसका ऋण ,
समय
आ गया अब ,
उन्नति
की राह चले मेरा उत्तराखंड।
एक
से अनेक बने ,
अनेको
से ताकत मिले ,
सर्वत्र
विकास के पथ पर ,
अपना
उत्तराखंड चले।
आओ की अब खुद पहल करे ,
प्रकृति के इस उपहार को ,
फिर से देवभूमि बनाये ,
जैसे भी हो , प्रयास करे।
चलो , सँवारे अपना उत्तराखंड।
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