Monday, 15 January 2018

पहाड़ी इजेक - च्योल कू सीख


जा ले रैये , खुश रै 
बाँटने रे प्यार , 
कैहू झकोड़ झन करिये , 
हमार तैश नेथिन संस्कार।  

सबहु मीठ बुलाए , 
ठुलोक इज्जत करिये , 
नान - नान्तिनो की दिए प्यार , 
भल भल खे , 
नि लिहे कहूं उधार।  

काम ध्यानेन करिये , 
मन लगै खूब , 
खर्च पाणी भेजने रै , 
मी बुढ़ि गौ मी छू ठीक।  

छुट्टी मिलला , उन रे 
गौ ले चैड़ भोय जरूर , 
या जस का भोय और के ,
निमेल घाम , ठंड पाणी 
फ्री में का मिलु , 
ताजी हाव खाऊ ,
द्यु -चार दिनेक छुट्टी ,
मांग लिये, 
और झट अ जाये , 
आपुण घर द्वार।  

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